Girish Karnad, a celebrated actor, playwright and filmmaker, died at 81 today after a
prolonged illness. His death brings to an end a glorious chapter in modernist Indian theatre, which he helped shape through his work, from the early 1960s. Girish Karnad's plays often reflected the issues of
contemporary society. He was also a fearless social and political activist, who used his
literary skills and, in later years, his popularity, as a platform to fight religious fundamentalism and defend freedom of expression. Despite receiving numerous death threats, he never backed down from expressing his views.
प्रसिद्ध अभिनेता, नाटककार और फिल्म निर्माता गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद आज 81 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी मृत्यु आधुनिकतावादी भारतीय रंगमंच में एक शानदार अध्याय का अंत करती है, जिसे उन्होंने 1960 के दशक के प्रारंभ से अपने काम के माध्यम से आकार देने में मदद की थी। गिरीश कर्नाड के नाटक अक्सर
समकालीन समाज के मुद्दे दर्शाते थे । वह एक निडर सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे, जिन्होंने अपने
साहित्यिक कौशल और बाद के वर्षों में धार्मिक कट्टरवाद से लड़ने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए अपनी लोकप्रियता को एक मंच के रूप में उपयोग किया। कई मौत की धमकियां मिलने के बावजूद, वे कभी भी अपने विचार व्यक्त करने से पीछे नहीं हटे।